उसकी आदत ही बन गई थी,घंटो अपना कान मेरे दिल के करीब, बहुत करीब रखकर लेटा रहता, जब मैं पूछती क्या सुन रहे हो? तो बड़े शरारती अंदाज में कहता, ये धड़कने, सुन रहा हूं कि ये किसी और का नाम तो नहीं लेती। मै मस्ती में पूछती अच्छा तो क्या सुना फिर तुमने? वो कहता जब ये धड़कने ही मेरी है तो भला किसी और का नाम कैसे ले सकती है। #यूँही