सुंदर सा प्यारा अनमोल जहां देखता हूं, जल्दी से गुजरता है जो वक्त के साथ वो, मंज़र देखता हूं ,वो बितता पल देखता हूं, हर नायाब चिज़ को खुद से छुडता देखता हूं, हर यादगार लम्हों को गुजरता देखता हूं, ज़िंदगी के हर एक पड़ाव को देखता हूं, कितने हसीन सपनों को पंख मिलते देखता हूं, कहा ले जाती है ये हवाएं महसूस करता हूं, खायालो के कितने शहर गुजरते देखता हूं, झांककर रेल की खिड़की से अपना मुकाम देखता हूं.... अपना मुकाम