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#डर आज भी सहम सी जाति हु में आज भी दर सी जाती हु

#डर   आज भी सहम सी जाति हु में
आज भी दर सी जाती हु में जब रात होने को आती है
बहादुरी का कफ़न तो मेने पहना  है
पर उस गन्दी रातो को भी मैने सहा है
जब वो अपने नापाक इरादों को लिए अपने गंदे हाथों से मुझे छूता है
अपनी गन्दी नजरो से मेरे जिस्म को निहारता है
और रात के उन अंधेरों में मेरे बदन को छूता और निचोड़ जाता है
और मुझे हर रोज अंधेरो में ख़ुदकी नजरों में गिरा जाता है #dar WRITER BY RAJAL THAKKAR 😑😖😥😣😫😫😫😤😢😭😱😨😩😷😡😵😨😰
#डर   आज भी सहम सी जाति हु में
आज भी दर सी जाती हु में जब रात होने को आती है
बहादुरी का कफ़न तो मेने पहना  है
पर उस गन्दी रातो को भी मैने सहा है
जब वो अपने नापाक इरादों को लिए अपने गंदे हाथों से मुझे छूता है
अपनी गन्दी नजरो से मेरे जिस्म को निहारता है
और रात के उन अंधेरों में मेरे बदन को छूता और निचोड़ जाता है
और मुझे हर रोज अंधेरो में ख़ुदकी नजरों में गिरा जाता है #dar WRITER BY RAJAL THAKKAR 😑😖😥😣😫😫😫😤😢😭😱😨😩😷😡😵😨😰

#Dar WRITER BY RAJAL THAKKAR 😑😖😥😣😫😫😫😤😢😭😱😨😩😷😡😵😨😰 #डर