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बैठ कर रात तुलु -ए - आफताब में क्यूं गुजार दें,,,,

बैठ कर रात तुलु -ए - आफताब में क्यूं गुजार दें,,,,
चांद भी न रहे तो क्या ,हम शम्मा जला कर रास्ते ना काट दें ,,,
यूं नहीं के आफताब अंधेरे को न तोड़े पाएगा ,,,
क्या पता एक आफताब के इंजात में सांसे ही हमसे रिश्ता तोड़ देगा,,,,
जिए दो पल तो सुकून फिजाओं में हो,,,
बेचैनी का सितम तो बेगैरतो का तौफ़ा है ।।।।।

©Gumnaam Alfaaaz by Nikhat Bano
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