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ख़्वाबों की उंगली पकड़कर मैंने रातों को चलना सीखा

 ख़्वाबों की उंगली पकड़कर मैंने रातों को चलना सीखा था,
चांँद की आगोश में मैंने मोम की तरह पिघलना सीखा था,
तारों से ठंडक पाई थी और सूरज से जलना सीखा था,
तुमसे ना मिलते तो ये सब सपने ही लगते मुझे,
तेरी सोहबत में आकर मैंने मोहब्बत के सांचे में ढ़लना सीखा था।।

©रोहित
  हमने मोहब्बत करना सीखा था।।

हमने मोहब्बत करना सीखा था।। #Love

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