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तुम वो नजर हो जिसपर नजर पड़े तो नजर हटने को तैयार

तुम वो नजर हो जिसपर नजर पड़े तो नजर 
हटने को तैयार नहीं, 
तुम वो राह हो जिसकी चाह मे कदम निकल पड़े 
तो कदम रुकने को तैयार नहीं, 
कैसे कहूं के किस कदर बसे हो तुम मुझमे 
तुम वो बून्द हो मेरे अश्क़ का जो पलकों पे 
ठहरा तो है मगर जमीं पे गिरने को तैयार नहीं, 

दिल केहता है की कुछ इस तरह महसूस कर लूँ तुम्हे, 
अपनी साँसो मे भर लूँ तुम्हे, के मोहब्बत के दुनिया से
आने वाली तुम मेहकती हवा हो, 

तुम्हे नहीं पता तुम मेरे लिए क्या हो... #तुम_क्या_हो (2) #poetry
तुम वो नजर हो जिसपर नजर पड़े तो नजर 
हटने को तैयार नहीं, 
तुम वो राह हो जिसकी चाह मे कदम निकल पड़े 
तो कदम रुकने को तैयार नहीं, 
कैसे कहूं के किस कदर बसे हो तुम मुझमे 
तुम वो बून्द हो मेरे अश्क़ का जो पलकों पे 
ठहरा तो है मगर जमीं पे गिरने को तैयार नहीं, 

दिल केहता है की कुछ इस तरह महसूस कर लूँ तुम्हे, 
अपनी साँसो मे भर लूँ तुम्हे, के मोहब्बत के दुनिया से
आने वाली तुम मेहकती हवा हो, 

तुम्हे नहीं पता तुम मेरे लिए क्या हो... #तुम_क्या_हो (2) #poetry
prakash4355

prakash

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