ऐसी लागि लगन हुई बावली मीरा सी ऐसी लागि लगन विष का प्याला भी हुआ अमृत ऐसी लागि लगन नैना तरसे तेरे दरस को प्रिय भूली मै खुद को ऐसी लागि लगन ना रही सुध दुनिया के रस्मों रिवाजों की मै तेरी प्रेम दीवानी बनी प्रिय कंटक भी बने पुष्प चलती हूं उनपर यूं सारा जग बिसरा तेरे नाप की माला जपती फिरती ऐसी लागि है लगन। ऐसी लागि लगन