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II भाई ने प्यार से ज्यूँ, आवाज़ दी है मुझको का

II

भाई ने प्यार से ज्यूँ, आवाज़ दी है मुझको
काका ने जैसे कोई, ताक़ीद की है मुझको
ऐसा लगा पिताजी मुझको बुला रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

ये किसकी गुनगुनाहट, लोरी सुना रही है
जैसे कि माँ थपक के, मुझको सुला रही है
क्यूँ नींद में ये आँसू, बहते ही जा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

       ✍️ Writar jk jakhmi.

🙏Mery pahalli kavita.🙏

©jk Verma hi all

#Mic
II

भाई ने प्यार से ज्यूँ, आवाज़ दी है मुझको
काका ने जैसे कोई, ताक़ीद की है मुझको
ऐसा लगा पिताजी मुझको बुला रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

ये किसकी गुनगुनाहट, लोरी सुना रही है
जैसे कि माँ थपक के, मुझको सुला रही है
क्यूँ नींद में ये आँसू, बहते ही जा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

       ✍️ Writar jk jakhmi.

🙏Mery pahalli kavita.🙏

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jkverma8698

jk Verma

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