नजरों का कसूर बस इतना था, जो तुझे देखा तो सिर्फ तुझ पर ही रुक गयी। बरना और भी नजारे थे देखने को दिल का कसूर बस इतना था। जैसे ही नजरों ने देखा तुझे , बिना सोचे समझे तुझे अपने अन्दर बसा लिया। थोडा सोचता तो ये हाल न हमारा होता देखने को दिमाग़ का कसूर इतना है अब ये तुझे भूलने नही दे रहा है। डर है इसे, कोई ओर न आ जाये इस दिल में रहने को मुहब्बत हुई है सिर्फ तुमसे,अल्फाज़ नही अब कहने को ©आकाश भिलावली वाला #नजरों_का_कसूर #दिल_की_बात #नजरें