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क्रमागत उन्नति यानी इवोल्यूशन की थ्योरी देने वाले

क्रमागत उन्नति यानी इवोल्यूशन की थ्योरी देने वाले मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने जिस जगह इवोल्यूशन की स्टडी की थी, वहां पर मौजूद विश्व प्रसिद्ध डार्विन आर्क समुद्र में गिर गया. यह पत्थर का बना प्राकृतिक मेहराब था. जिसके आसपास व्हेल शार्क और हैमरहेड शार्क अक्सर देखी जाती हैं. इस जगह जाने वाले पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र था. इसी आर्क के आसपास डार्विन ने इवोल्यूश की थ्योरी देने के लिए अध्ययन किया था... हाल ही में इक्वाडोर के पर्यावरण और जल मंत्रालय ने स्पैनिश भाषा में ट्वीट करके यह जानकारी दी कि डार्विन आइलैंड के पथरीले और ढलान वाले तट से 1 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित यह आर्क प्राकृतिक कटाव की वजह से टूट गया. चार्ल्स डार्विन ने उत्तरी गैलापैगोस द्वीप समूह के आसपास 1830 में अध्ययन किया था. वो HMS Beagle नाम के जहाज से यहां गए थे. 
एक टूर कंपनी एग्रेसर एडवेंचर्स ने सीएनएन को बताया कि डार्विन आर्क के मोनोलिथ का ऊपरी हिस्सा अब समुद्र में गिर गया है. अब यहां पर यह ऐतिहासिक समुद्री द्वार खत्म हो चुका है. PLOS One नाम के जर्नल में 2014 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक डार्विन आइलैंड एक ज्वालामुखीय द्वीप है. जहां के पत्थर समुद्र के अंदर 32 फीट की गहराई तक गए हुए हैं.  समुद्र के अंदर यह पथरीला प्लेटफॉर्म गैलापैगौस द्वीप समूह के उत्तर से दक्षिण-पूर्व तक फैला हुआ है. इसी प्लेटफॉर्म के ऊपर डार्विन आर्क बना हुआ था.
वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि यह आर्क किसी समय डार्विन आइलैंड का ही हिस्सा था, जो समुद्री जलस्तर बढ़ने, प्राकृतिक कटाव की वजह से एक गेट जैसे ढांचे में तब्दील हो गया था. इस आर्क के नीचे का हिस्सा समुद्र के अंदर 328 फीट की गहराई तक गया हुआ है. डार्विन आइलैंड पर्यटकों के लिए काफी समय से बंद है. द्वीप से इस आर्क को देखना मुश्किल और खतरनाक है. इसलिए लोग इसे देखने के लिए क्रूज शिप्स का सहारा लेते आए हैं. 
इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्रालय ने अपने ट्वीट में कहा कि यह जगह अब दुनिया के सबसे बेहतरीन डाइविंग वाले स्थानों में से एक है. लेकिन दिक्कत ये है कि यहां पर पर्यटक डाइव नहीं कर सकते. सिर्फ वही वैज्ञानिक डाइविंग कर सकते हैं जिन्हें शार्क और व्हेल्स से डर न लगता हो. क्योंकि यहां पर व्हेल और शार्क्स समेत कई अन्य खतरनाक समुद्री जीवों का घर है.
PLOS One की एक स्टडी के मुताबिक डार्विन आर्क के आसपास अक्सर मादा व्हेल शार्क अपने गर्भवस्था में सबसे ज्यादा देखी गई हैं. इस आर्क के नीचे समुद्र में शार्क के अलावा कई रीफ्स है. यहां पर पिलेजिक (Pelagic) मछलियां बहुतायत में पाई जाती हैं. ये खुले सागरों में घूमने वाली मछलियां होती हैं. शार्क और बड़ी मछलियां इन्हें अपना लंच या डिनर बनाती हैं. इसके अलावा यहां पर समुद्री कछुए, मांटा रे, डॉल्फिन आदि भी देखी जाती हैं. 
वैज्ञानिकों के अनुसार डार्विन आइलैंड समुद्री जीवों के विस्थापन मार्क का एक मिडवे था यानी लंबी दूरी की यात्रा करने वाली मछलियां यहां पर रुक कर प्रजनन करती थीं. गैलापैगोस मरीन रिजर्व समुद्री जीवों को बचाने के लिए है. यहां पर करीब 19 द्वीपों का समूह है जिसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का तमगा मिला हुआ है. लेकिन अब यह द्वीप बिना डार्विन आर्क के अजीबो-गरीब दिखेगा. क्योंकि यह आर्क ही इस द्वीप की पहचान थी. हालांकि इससे व्हेल शार्क को शायद कोई फर्क न पड़े.
क्रमागत उन्नति यानी इवोल्यूशन की थ्योरी देने वाले मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने जिस जगह इवोल्यूशन की स्टडी की थी, वहां पर मौजूद विश्व प्रसिद्ध डार्विन आर्क समुद्र में गिर गया. यह पत्थर का बना प्राकृतिक मेहराब था. जिसके आसपास व्हेल शार्क और हैमरहेड शार्क अक्सर देखी जाती हैं. इस जगह जाने वाले पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र था. इसी आर्क के आसपास डार्विन ने इवोल्यूश की थ्योरी देने के लिए अध्ययन किया था... हाल ही में इक्वाडोर के पर्यावरण और जल मंत्रालय ने स्पैनिश भाषा में ट्वीट करके यह जानकारी दी कि डार्विन आइलैंड के पथरीले और ढलान वाले तट से 1 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित यह आर्क प्राकृतिक कटाव की वजह से टूट गया. चार्ल्स डार्विन ने उत्तरी गैलापैगोस द्वीप समूह के आसपास 1830 में अध्ययन किया था. वो HMS Beagle नाम के जहाज से यहां गए थे. 
एक टूर कंपनी एग्रेसर एडवेंचर्स ने सीएनएन को बताया कि डार्विन आर्क के मोनोलिथ का ऊपरी हिस्सा अब समुद्र में गिर गया है. अब यहां पर यह ऐतिहासिक समुद्री द्वार खत्म हो चुका है. PLOS One नाम के जर्नल में 2014 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक डार्विन आइलैंड एक ज्वालामुखीय द्वीप है. जहां के पत्थर समुद्र के अंदर 32 फीट की गहराई तक गए हुए हैं.  समुद्र के अंदर यह पथरीला प्लेटफॉर्म गैलापैगौस द्वीप समूह के उत्तर से दक्षिण-पूर्व तक फैला हुआ है. इसी प्लेटफॉर्म के ऊपर डार्विन आर्क बना हुआ था.
वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि यह आर्क किसी समय डार्विन आइलैंड का ही हिस्सा था, जो समुद्री जलस्तर बढ़ने, प्राकृतिक कटाव की वजह से एक गेट जैसे ढांचे में तब्दील हो गया था. इस आर्क के नीचे का हिस्सा समुद्र के अंदर 328 फीट की गहराई तक गया हुआ है. डार्विन आइलैंड पर्यटकों के लिए काफी समय से बंद है. द्वीप से इस आर्क को देखना मुश्किल और खतरनाक है. इसलिए लोग इसे देखने के लिए क्रूज शिप्स का सहारा लेते आए हैं. 
इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्रालय ने अपने ट्वीट में कहा कि यह जगह अब दुनिया के सबसे बेहतरीन डाइविंग वाले स्थानों में से एक है. लेकिन दिक्कत ये है कि यहां पर पर्यटक डाइव नहीं कर सकते. सिर्फ वही वैज्ञानिक डाइविंग कर सकते हैं जिन्हें शार्क और व्हेल्स से डर न लगता हो. क्योंकि यहां पर व्हेल और शार्क्स समेत कई अन्य खतरनाक समुद्री जीवों का घर है.
PLOS One की एक स्टडी के मुताबिक डार्विन आर्क के आसपास अक्सर मादा व्हेल शार्क अपने गर्भवस्था में सबसे ज्यादा देखी गई हैं. इस आर्क के नीचे समुद्र में शार्क के अलावा कई रीफ्स है. यहां पर पिलेजिक (Pelagic) मछलियां बहुतायत में पाई जाती हैं. ये खुले सागरों में घूमने वाली मछलियां होती हैं. शार्क और बड़ी मछलियां इन्हें अपना लंच या डिनर बनाती हैं. इसके अलावा यहां पर समुद्री कछुए, मांटा रे, डॉल्फिन आदि भी देखी जाती हैं. 
वैज्ञानिकों के अनुसार डार्विन आइलैंड समुद्री जीवों के विस्थापन मार्क का एक मिडवे था यानी लंबी दूरी की यात्रा करने वाली मछलियां यहां पर रुक कर प्रजनन करती थीं. गैलापैगोस मरीन रिजर्व समुद्री जीवों को बचाने के लिए है. यहां पर करीब 19 द्वीपों का समूह है जिसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का तमगा मिला हुआ है. लेकिन अब यह द्वीप बिना डार्विन आर्क के अजीबो-गरीब दिखेगा. क्योंकि यह आर्क ही इस द्वीप की पहचान थी. हालांकि इससे व्हेल शार्क को शायद कोई फर्क न पड़े.