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न जाने किस गफ़लत में है जहन जो तेरे दीदार को आज भी

न जाने किस गफ़लत में है जहन
जो तेरे दीदार को आज भी तरसता है।

खिड़कियॉ सूनी ही रह जाती है अक्सर
जब अन्दर का तूफ़ा कहीं बाहर बरसता है। सूखापन
न जाने किस गफ़लत में है जहन
जो तेरे दीदार को आज भी तरसता है।

खिड़कियॉ सूनी ही रह जाती है अक्सर
जब अन्दर का तूफ़ा कहीं बाहर बरसता है। सूखापन
ankitmishra4564

Ankit Mishra

New Creator

सूखापन