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वो साजिशों के जाल बुनते हैं! हम मंजिल के रास्ते ढू

वो साजिशों के जाल बुनते हैं!
हम मंजिल के रास्ते ढूंढ़ते हैं!!

वो पग-पग पर पत्थर फेंकते हैं!
हम दरकिनार कर आगे बढ़ते हैं!!

वो हर तरफ नफरतों के बीज बोते हैं!
हम मोहब्बत की फसल काटते हैं!!

गम नहीं शिकायत भी नहीं करते हैं!
हम तो "शिवा" यूं हीं जिया करते हैं!!

-सुशील राय "शिवा"

©सुशील राय "शिवा"
  #सफरनामा