हर सच्चाई की सच्चाई यही है झूठ भारी रहा है हर सच्चाई पर किसी और की कहानी से पूरी नहीं होती गज़लें यहा लिखना पड़ता है यहा अपनी सच्चाई पर जुबाँ तो करती है लफ़्जों से फ़रेब साहब पर आंखें बयां कर देती सच्चाई पर सब तो झूठ लिख रहे हैं राज ये तुमने क्या लिख दिया सच्चाई पर ©Raj Kumar Allahabadi On true #Darknight