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न श्वः श्वमुपासीत। को ही मनुष्यस्य श्वो वेद। अनु

न श्वः श्वमुपासीत। को ही मनुष्यस्य श्वो वेद।


अनुवाद – कल के भरोसे मत बैठो। कर्म करो, मनुष्य का कल किसे ज्ञात है?

---भगवद गीता।

©Akhil Kael
  #navratri #BhagwadGeeta