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कलम की नोक पर एक नाम बार-बार आता है, मन धीरे-धीर

कलम की नोक पर 
एक नाम बार-बार आता है, 
मन धीरे-धीरे 
उसी में समा जाता है, 
कहते-कहते चुप हो जाता है, 
मेरी कविताएं रचा जाता है! 

सृजन की श्रृंखलाओं में... 
एक बात देखा आती-जाती रहती है,
नित नई आशाएं, 
नई कहानियां बुनती है,
स्वयं ही सब तुमको सर्वस्व कहती हैं,
स्वयं ही मौन फिर धर लेती है! 
कलम की नोक पर 
एक नाम बार-बार आता है, 
मन धीरे-धीरे 
उसी में समा जाता है, 
कहते-कहते चुप हो जाता है, 
मेरी कविताएं रचा जाता है!
कलम की नोक पर 
एक नाम बार-बार आता है, 
मन धीरे-धीरे 
उसी में समा जाता है, 
कहते-कहते चुप हो जाता है, 
मेरी कविताएं रचा जाता है! 

सृजन की श्रृंखलाओं में... 
एक बात देखा आती-जाती रहती है,
नित नई आशाएं, 
नई कहानियां बुनती है,
स्वयं ही सब तुमको सर्वस्व कहती हैं,
स्वयं ही मौन फिर धर लेती है! 
कलम की नोक पर 
एक नाम बार-बार आता है, 
मन धीरे-धीरे 
उसी में समा जाता है, 
कहते-कहते चुप हो जाता है, 
मेरी कविताएं रचा जाता है!
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