Unsplash भाग्य को कोसने वाले, मेहनत से कोसों दूर रहे..! ख़ुद सही बाकी ग़लत, इस मद में चूर रहे..! सुर्ख़ियों में छाये रहने को, व्यवहार से सदा क्रूर रहे..! बदलते नहीं ख़ुद को कभी, आदत से यूँ मज़बूर रहे..! सज़ा मिली उन्हीं को जानी, जो बेकुसूर रहे..! बड़बोलेपन बातों के बेहद, ज़माने में मशहूर रहे..! दौलत के आगे सभी, अपने आप में मग़रूर रहे..! ख़ाली ख्याली पुलाव पकाते, ख़्वाहिशों से भरपूर रहे..! ©SHIVA KANT(Shayar) #library #bhagyakokosnewale