मुसाफिर ही तो था छोड़कर चला ही गया वो आईना देखकर फिर संवरते क्यूँ हैं? कच्चे धागे सी नाज़ुक हैं भरोसे की डोरें लोग इसी मुकाम पर आकर फिर फिसलते क्यूँ हैं... 🎀 Challenge-203 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।