कल शाम को छोटी सी मरम्मत के दौरान कई कीलें हथौड़ी की मार से टेड़ी हो गयीं.बामुश्किल तीन कीलों का ही उपयोग हुआ। टेढ़ी कीलों का क्या किया जाये फैका जाये या सीधा कर के रखा जाये? कुछ देर सोचने के उन सभी को सीधा करने का प्रयास शुरू हुआ। बार बार कील छिटक जा रहीं थी। कसकर पकड़ने से अंगूठे और पड़ोसन उँगली में निशान तक पड़ गये... ठोकने से कील पर गरमाहट भी बढ़ती जा रही थी... अचानक कील का उंगलियों से छिटक कर दूर उछल जाना... परन्तु तब तक हथौड़ी ने अंगूठे को नाखून की साईड पर चोट पहुँचा ही दी... ये पीड़ा अनायास और तीव्रतम थी जिससे एक अध्याय जुड़ गया कि टेढ़ी कील जैसे लोगों को ठोक पीट कर सही करने की जरूरत नहीं है...उनके हाल पर छोड़ना सही ही है अन्यथा स्वयं के मनोभाव और अन्तर्मन ही चोटिल होते हैं.... वैसे भी कीलों के ढेर से सभी सीधी वाली कीलें ही उठाते हैं और टेढ़ी कीलों को उस पल काम के समय नजरअंदाज कर दिया जाता है। राम उनिज मौर्य ©RAAM UNIJ MAURYA #कील