आग हो तो जलने में देर कितनी लगती है। बर्फ के पिघलने में देर कितनी लगती है। चाहे कोई रुक जाए चाहे कोई रह जाए काफिलों को चलने में देर कितनी लगती है चाहे कोई जैसा भी हमसफ़र हो सदियों से रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है ये तो वक्त के बस में है कि कितनी मोहलत दे वरना वक्त ढलने में देर कितनी लगती है ~फ़रहत अब्बास शाह #famous shayar # Lagends