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मैं हवा को पकड़ता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ दिल को संभा

मैं हवा को पकड़ता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ 
दिल को संभालता हूँ फ़िर तोड़ देता हूँ 

दिन को तो जैसे तैसे मना ही लेता हूँ 
रातों में फ़िर ख़ुद को तन्हा छोड़ देता हूँ

तुम ये न समझना के मैं कोई ख़्वाब में हूँ
मैं हर रोज़ उससे इश्क़ करता हूँ छोड़ देता हूँ

मेरी क़ाबिलियत पर तो तू गौर कर कमल 
मैं हर रोज़ मौत से मिलता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ

©Kamal Kant #Suicide #Shayari #Shayar #Broken #alone #Poetry #thought #midnightthoughts  sad shayari
मैं हवा को पकड़ता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ 
दिल को संभालता हूँ फ़िर तोड़ देता हूँ 

दिन को तो जैसे तैसे मना ही लेता हूँ 
रातों में फ़िर ख़ुद को तन्हा छोड़ देता हूँ

तुम ये न समझना के मैं कोई ख़्वाब में हूँ
मैं हर रोज़ उससे इश्क़ करता हूँ छोड़ देता हूँ

मेरी क़ाबिलियत पर तो तू गौर कर कमल 
मैं हर रोज़ मौत से मिलता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ

©Kamal Kant #Suicide #Shayari #Shayar #Broken #alone #Poetry #thought #midnightthoughts  sad shayari
rjkamal3243

Kamal Kant

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