मैं हवा को पकड़ता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ दिल को संभालता हूँ फ़िर तोड़ देता हूँ दिन को तो जैसे तैसे मना ही लेता हूँ रातों में फ़िर ख़ुद को तन्हा छोड़ देता हूँ तुम ये न समझना के मैं कोई ख़्वाब में हूँ मैं हर रोज़ उससे इश्क़ करता हूँ छोड़ देता हूँ मेरी क़ाबिलियत पर तो तू गौर कर कमल मैं हर रोज़ मौत से मिलता हूँ फ़िर छोड़ देता हूँ ©Kamal Kant #Suicide #Shayari #Shayar #Broken #alone #Poetry #thought #midnightthoughts sad shayari