Nojoto: Largest Storytelling Platform

आत्मा की पुकार मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी

आत्मा की पुकार मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है वह स्वयं को और सिर्फ बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है इन प्रयासों में वह अपने अध्यात्मिक विकास हेतु आतंकी शक्ति यानी आत्मिक शक्ति का प्रयोग करता है इसी शक्ति से हम परमात्मा की अनुभूति करने में समर्थ होते हैं आत्मा कभी-कभी हमें गलत कार्य के लिए परहेज नहीं करती भगवान श्री कृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है आत्मा का विनाश स्थान हृदय में होता है इसलिए आत्मा की पुकार को हृदय की पुकार भी कहा जाता है यह पुकार व्यक्ति को जीवन में कभी निराशा नहीं करती जब हम लोग और स्वार्थ वर्ष अपने रेडिक सुख के लिए आत्मा की पुकार को अनसुना करते हैं तब ईश्वर पदत शक्तियों का दुरुपयोग करने लगते हैं यही आत्मा का हनन खिलाता है मनुष्य जब बुरे कर्म में लिप्त हो जाता है तो उसे आत्मा उसे एक बार अवश्य पुकारती अरे तू यह क्या कर रहा है क्यों कर रहा है लोग क्या कहेंगे यह आवाज उस समय मुख्य रूप से उठती है जब मनुष्य गलत कार्य की परिसीमा पार करने लगता है इसके बावजूद अंतरात्मा की आवाज पर सवार थे वह रेडिक्स की विजय होती है और आत्म कुछ समय के लिए हार मान लेती है लेकिन वह गलत को गलत कहती है आत्मा कभी भी पाप को पुण्य नहीं बताती गीता के उपदेश में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि ऐसा मनुष्य जो ना कभी अति हर्षित होता है और ना कभी ड्रेस करता है और ना शौक करता है और ना जो काम करता है तथा शुभ और अशुभ संपूर्ण कर्म का त्याग है वह मनुष्य मुझे अति पर वह है जो व्यक्ति अपनी आत्मा की आवाज को सुनता है उसका चिंतन करता है वह डीड आत्मा पूर्वक अपने कर्तव्य में तत्पर हो जाते हैं वह अपने अतीत को भूल कर आगे बढ़ने लगते हैं तथा अपने जीवन के सकारात्मक उद्देश्य को प्राप्त करते हैं वास्तव में अंतरात्मा की आवाज ही जीवन की पथ प्रदर्शक है

©Ek villain #atmanirbharbharat 

#Ring
आत्मा की पुकार मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है वह स्वयं को और सिर्फ बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है इन प्रयासों में वह अपने अध्यात्मिक विकास हेतु आतंकी शक्ति यानी आत्मिक शक्ति का प्रयोग करता है इसी शक्ति से हम परमात्मा की अनुभूति करने में समर्थ होते हैं आत्मा कभी-कभी हमें गलत कार्य के लिए परहेज नहीं करती भगवान श्री कृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है आत्मा का विनाश स्थान हृदय में होता है इसलिए आत्मा की पुकार को हृदय की पुकार भी कहा जाता है यह पुकार व्यक्ति को जीवन में कभी निराशा नहीं करती जब हम लोग और स्वार्थ वर्ष अपने रेडिक सुख के लिए आत्मा की पुकार को अनसुना करते हैं तब ईश्वर पदत शक्तियों का दुरुपयोग करने लगते हैं यही आत्मा का हनन खिलाता है मनुष्य जब बुरे कर्म में लिप्त हो जाता है तो उसे आत्मा उसे एक बार अवश्य पुकारती अरे तू यह क्या कर रहा है क्यों कर रहा है लोग क्या कहेंगे यह आवाज उस समय मुख्य रूप से उठती है जब मनुष्य गलत कार्य की परिसीमा पार करने लगता है इसके बावजूद अंतरात्मा की आवाज पर सवार थे वह रेडिक्स की विजय होती है और आत्म कुछ समय के लिए हार मान लेती है लेकिन वह गलत को गलत कहती है आत्मा कभी भी पाप को पुण्य नहीं बताती गीता के उपदेश में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि ऐसा मनुष्य जो ना कभी अति हर्षित होता है और ना कभी ड्रेस करता है और ना शौक करता है और ना जो काम करता है तथा शुभ और अशुभ संपूर्ण कर्म का त्याग है वह मनुष्य मुझे अति पर वह है जो व्यक्ति अपनी आत्मा की आवाज को सुनता है उसका चिंतन करता है वह डीड आत्मा पूर्वक अपने कर्तव्य में तत्पर हो जाते हैं वह अपने अतीत को भूल कर आगे बढ़ने लगते हैं तथा अपने जीवन के सकारात्मक उद्देश्य को प्राप्त करते हैं वास्तव में अंतरात्मा की आवाज ही जीवन की पथ प्रदर्शक है

©Ek villain #atmanirbharbharat 

#Ring