आज भी तो नींद नहीं है इन नयनों में, बेशक बत्ती बंद हो चुकी है भवनों में। तापमान तेरी यादों का इतना अधिक बढ गया है कि कोई अपना अपनों में नहीं लगता इसलिए वार-वार सच को छोड़कर मैं चलता रहा सिर्फ़ सपनों में। ...by Vikas Sahni ©Vikas Sahni #आज_भी_तो________विकास_साहनी