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पुष्प की अभिलाषा उपकृत निष्ठा उचित सत्य सिद्ध हो।

पुष्प की अभिलाषा
उपकृत निष्ठा उचित
सत्य सिद्ध हो।
विश्वास महक उठे
प्रेम खिल जाये
आलिंगन में आत्माओं का
सत्य सिद्ध हो,
ठीक उस तौर,जो दबा मिट्टी में
आधार,अस्तित्व का मूल सहारा
गुलाब तुम्हारा। तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं ,
तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं ।
**************************

विद्या और बुद्धि की
लालची सदा से रही हूँ मैं ,
लालच से वशीभूत मैं ,
अक्सर मोर पंख रखती थी
पुष्प की अभिलाषा
उपकृत निष्ठा उचित
सत्य सिद्ध हो।
विश्वास महक उठे
प्रेम खिल जाये
आलिंगन में आत्माओं का
सत्य सिद्ध हो,
ठीक उस तौर,जो दबा मिट्टी में
आधार,अस्तित्व का मूल सहारा
गुलाब तुम्हारा। तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं ,
तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं ।
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विद्या और बुद्धि की
लालची सदा से रही हूँ मैं ,
लालच से वशीभूत मैं ,
अक्सर मोर पंख रखती थी