कब छटेगा बादल,कब दूर होगा अंधियारी। कब नीगेलेगा सूरज ,कब सजेगी खेतों की क्यारी। कब लौटेगा मजदूर की रौनक लाली। क्या ऐसी ही कोहराम मचाएगा महामारी? कब होगा पक्षी की कलरव,कब छुक छुक रेल दौड़ेगी। कब तरु की शीतल डाली अपनी बांहे खोलेगी। कब बादल को छू लेने वाली वायुयान नभ में दौड़ेगी। कब लगी पाँव की जंजीरे अपनी पकड़ को छोड़ेगी। कब आजाद होकर हम सब भूमंडल पर सैर करेंगे? ए मन समझ तू ,बस कुछ दिनों की और बात है। सबकुछ ठीक हो जायेगा, महामारी का क्या औकात है। @Kavi Suman Stay home,Stay Safe ###Kab???