वो काली रातों का अंधेरा था जँहा मेरी अय्याशियों का डेरा था लेकर गया उस को भी उन गलियों में जिनका दूर दूर तक न सवेरा था वो भी चल दिया साथ मेरे बिना कुछ पूछे बिना कुछ कहे क्योंकि वो भी कहीं न कहीं मेरा था...... भरोसा है उसको जल्द ही छटेगा ये अंधेरा छूटेंगी वो गलियाँ जँहा है अय्याशियों का मेरा डेरा खींच लायेगा वो मुझको वँहा से जँहा दूर दूर तक नही है सवेरा...... वो काली रातों का अंधेरा जँहा है अय्याशियों का डेरा ..............निखिल कुमार............. #मेरी_डायरी..... #निखिल_कुमार_अंजान....... #nojoto....