Nojoto: Largest Storytelling Platform

भड़कती आग ने, जब उन्हें छुआ होगा, मैं कैसे कहूं, दर

भड़कती आग ने, जब उन्हें छुआ होगा,
मैं कैसे कहूं, दर्द कितना हुआ होगा ?
जो व्यथा को कह सके, वो लेखनी भी क्या कहीं है?
संवेदना भीतर बहुत पर, शब्द कहने को नहीं है ।
कुछ ख़ामियों की मार से, लो हम ही कल को खा गये,
हम मूक देखते रहे, वो कूदने को आ गये ।

मिलकर सुधारें खामियां, ऐसा कभी तो प्रान्त हो,
हैं बहुत झुलसे प्रभु वो, अब आत्मा तो शान्त हो।।
#RIP_Surat 

- Nitin Kr Harit #Nkharit #Nojoto #RIP_Surat
भड़कती आग ने, जब उन्हें छुआ होगा,
मैं कैसे कहूं, दर्द कितना हुआ होगा ?
जो व्यथा को कह सके, वो लेखनी भी क्या कहीं है?
संवेदना भीतर बहुत पर, शब्द कहने को नहीं है ।
कुछ ख़ामियों की मार से, लो हम ही कल को खा गये,
हम मूक देखते रहे, वो कूदने को आ गये ।

मिलकर सुधारें खामियां, ऐसा कभी तो प्रान्त हो,
हैं बहुत झुलसे प्रभु वो, अब आत्मा तो शान्त हो।।
#RIP_Surat 

- Nitin Kr Harit #Nkharit #Nojoto #RIP_Surat