भड़कती आग ने, जब उन्हें छुआ होगा, मैं कैसे कहूं, दर्द कितना हुआ होगा ? जो व्यथा को कह सके, वो लेखनी भी क्या कहीं है? संवेदना भीतर बहुत पर, शब्द कहने को नहीं है । कुछ ख़ामियों की मार से, लो हम ही कल को खा गये, हम मूक देखते रहे, वो कूदने को आ गये । मिलकर सुधारें खामियां, ऐसा कभी तो प्रान्त हो, हैं बहुत झुलसे प्रभु वो, अब आत्मा तो शान्त हो।। #RIP_Surat - Nitin Kr Harit #Nkharit #Nojoto #RIP_Surat