सुन री सखी मोरी:
कौन को सुनाऊं दुबिधा मोरी;
कोनसे कहूं हृदय की पीर री।
जोगन भई जोगिया की;
अलबेली हुई श्याम पिया की।
मन न भाए मोहे रंग कोई;
जब से रंग गई चुनरी श्याम रंग मोरी।
रात्रि अंखियां बरसे मोर प्रियतम की याद में; #Love#Happy#maa#writer#कविता#sakhi#publishedwriter#meerakanhaki13