वो ख्वाबों में फिर से लौट आया संग जज्बातों का ज्वार सा लाया, कस्ती अब भी फसी है बीच भंवर में लगा था मुझे मैं इश्क समंदर पार कर आया, गुफ्तगू हो तो हो कैसे यार मेरा नवाबों के शहर से नाराजगी उधार ले आया, इक अर्से से मना रहा हूं उसे लगता है मेरी यादों को वो बाजार में नीलाम कर आया।। ©Mauryavanshi Veer #SAD #a #Mauryavanshi Sudha Tripathi MAYA