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#OpenPoetry *भीगी आँखों से मुस्कराने* *में मज़ा और

#OpenPoetry *भीगी आँखों से मुस्कराने*
*में मज़ा और है*,

*हंसते हंसते पलके भीगने*  
*में मज़ा और है,*

*बात कहके तो कोई भी* 
 *समझलेता है,।  

*पर खामोशी कोई समझे* 
                             तो मज़ा और है.. !!* bighi पलको से।
#विचार
#संगीत
#कला
#सायरी
#OpenPoetry *भीगी आँखों से मुस्कराने*
*में मज़ा और है*,

*हंसते हंसते पलके भीगने*  
*में मज़ा और है,*

*बात कहके तो कोई भी* 
 *समझलेता है,।  

*पर खामोशी कोई समझे* 
                             तो मज़ा और है.. !!* bighi पलको से।
#विचार
#संगीत
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