तूने दिए मुझे दिन सुहाने क्या आज बस इतनी सी इजाज़त दे दे तू आज फलक के तारो को तोड़ कर के मैं तेरे दामन को इनसे सजा दूं क्या आज बातें ये कहने सुनने में दिलचस्प है बहुत मैं कर सकता हूँ ऐसा तू इजाज़त दे तो आज दिन बड़ा वो था जब मुझ को तू मिल गया दिन ये भी बड़ा है खुल्द से मेरे लिए तू उतारा गया तब्बासुम मेरे चेहरे पर जो खिल रही है इनायतें मुझ पर जो बेशुमार हो रही है तेरी दुआओं का ऐसा करम हुआ है मुझ पर एक ज़र्रे से आफताब बन गया हूँ मैं आज