अबकी बार मन की बात को रखने का कुछ यूँ अंदाज हो, क्यों ना दूर दराज़ पंक्षियों में विचित्र मौन का संवाद हो, ना कोई बात, बस दिल से दिल तक कि आवाज़ हो, ना कोई संगीत, ना कोई तान हो, बस "गुरु का राग़" हो।। क्यों ना मीलों दूर से एक अनोखे प्रेम का एहसास हो, फेसबुक पर तो हो पोस्ट, और YQ पर जज़्बात हो, बाकी सभी पर चर्चा, और दावकी नदी सा साफ हो, ना हो कोई मिर्च मसाला, ना कोई CS का दिमाग हो, अब या तो गुरु का राग़ हो, जो नहीं तो गुरु का बैराग हो।। Hey good morning Radhe Radhe sabhi ko, don't be take my word in other way.... buddy _____________________________________ कुछ शब्दों के अर्थ- पंक्षियों शब्द इसीलिये लिखा : क्योंकि पंक्षी को उड़ने को पूरा आसमान है। जिसे पूरी आज़ादी हो। विचित्र मौन का संवाद : बिना कुछ बोले ही बात हो जाए, दिल से दिल की गहराई में जाए, और social media पर भी चर्चा हो जाए, हर बात इतनी सच और साफ हो जितना दावकी का पानी, ना कोई झूठी बात ना कोई fack कहानी,