खुशियां कहां बिकती हैं, साहब! बिकती अगर खुशियां तो, भर लेते पोटली अपनी, फ़िर रोज एक खुशी, नजर करते जरुरतमंदो को। खुशियां कहां बिकती हैं, साहब! बिकती अगर खुशियां तो, भर लेते पोटली अपनी, फ़िर रोज एक खुशी, नजर करते जरुरतमंदो को।