रौनक-अफ़रोज़ है तुम्हारी आँखें झील सा है, ख़ामोशी के मंज़र में । तैरने की ख़्वाहिशें थी इनमें पर, डूब गए तेरे आँखों के समंदर में ।। ✍Rajesh #1stpoetry #Foryou