कौन कौन किस कारस्तानी में है , सब कुछ मेरी निगेहबानी में है । किसी दिन काट सरहद पर सर्द रात, पता चले खूं तेरा कितना रवानी में है । तुम यूँ न जाओ अधूरा किस्सा सुनकर , किरदार मेरा आना अभी कहानी में है। पानी पीकर भी गुजारा करते है मुफ़लिस, पता करो तो जरा , क्या दूध पानी में है । लोग मुझसे जरा फासले से ही मिलते है , थोड़ा अंदाज़-ए-तल्खी मेरी बयानी में है। - राणा © कौन कौन किस #कारस्तानी में है , सब कुछ मेरी #निगेहबानी में है । किसी दिन काट #सरहद पर #सर्द #रात, पता चले #खूं तेरा कितना #रवानी में है । तुम यूँ न जाओ अधूरा #किस्सा सुनकर , #किरदार मेरा आना अभी #कहानी में है।