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जब भी उनको पास बिठाना होता है, ख्वाबों को आखों में

जब भी उनको पास बिठाना होता है,
ख्वाबों को आखों में सजाना होता है।

झांक के आँखें उनकीं ज़म ज़म होता हुँ,
जिन्कीं आँखों से होकर मैंखाना होता है।

रात कभी मैं पीकर घर को नहीं जाता,
जा कर माँ से आँख मिलाना होता है।

लाख मना करने पर भी जो साथ रहे,
कई दीवानों में एक दीवाना होता है।

गर रोकोगे तो रुक भी जाएगा शायद,
है परवाना कहाँ एक ठिकाना होता है।

जहाँ छोटे-मोटे मअसले होते रहते हैं,
सच पुछो तो वही घराना होता है। #gazal😊🙏❤
जब भी उनको पास बिठाना होता है,
ख्वाबों को आखों में सजाना होता है।

झांक के आँखें उनकीं ज़म ज़म होता हुँ,
जिन्कीं आँखों से होकर मैंखाना होता है।

रात कभी मैं पीकर घर को नहीं जाता,
जा कर माँ से आँख मिलाना होता है।

लाख मना करने पर भी जो साथ रहे,
कई दीवानों में एक दीवाना होता है।

गर रोकोगे तो रुक भी जाएगा शायद,
है परवाना कहाँ एक ठिकाना होता है।

जहाँ छोटे-मोटे मअसले होते रहते हैं,
सच पुछो तो वही घराना होता है। #gazal😊🙏❤