स्याह रात में भी उजाला हुआ करता था महबूब चेहरे से जब नकाब उठाया करता था तारें गीत गाते फिरते थे आसमाँ के आँगन में चाँद हँस-हँस कर बलाएँ उतारा करता था! ©सौरभ अश्क #चाँद_और_वो #Moon