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तुम मुझे चाहो या ना चाहो मै तुम्हें चाहती हु तुम

तुम मुझे चाहो या ना चाहो
मै तुम्हें चाहती हु 
तुम तो कहते थे 
जितना आसमान धरती को
चाहता है 
मैं तुम्हें उतना चाहता हु
तूम हर दिन निये सपनो 
के साथ मिलते थे
फिर भी मैं बोलती 
तुम मुझे चाहो या न चाहो 

मैं तुम्हें चाहती हु
तुम हर बात ऐसे ही 
बोलते थे 
पर मैं हर बात सच 
मानती थी
तुम्हारे नजरो में 
मेरी क्या अहमियत हैं 
ये मैं जानती थी
फिर भी मै तुम्हें 
चाहती थी
तुम हर बात को
खुवाबो के।तरह 
सजाते थे 
पर मैं हर बात को
हक़ीक़त मानती थी
तुम मुझे चाहो या ना चाहो 
मैं तुम्हें चाहती हु
बस यही बात बताती थी
............... Dipika.......... chaht
तुम मुझे चाहो या ना चाहो
मै तुम्हें चाहती हु 
तुम तो कहते थे 
जितना आसमान धरती को
चाहता है 
मैं तुम्हें उतना चाहता हु
तूम हर दिन निये सपनो 
के साथ मिलते थे
फिर भी मैं बोलती 
तुम मुझे चाहो या न चाहो 

मैं तुम्हें चाहती हु
तुम हर बात ऐसे ही 
बोलते थे 
पर मैं हर बात सच 
मानती थी
तुम्हारे नजरो में 
मेरी क्या अहमियत हैं 
ये मैं जानती थी
फिर भी मै तुम्हें 
चाहती थी
तुम हर बात को
खुवाबो के।तरह 
सजाते थे 
पर मैं हर बात को
हक़ीक़त मानती थी
तुम मुझे चाहो या ना चाहो 
मैं तुम्हें चाहती हु
बस यही बात बताती थी
............... Dipika.......... chaht
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