नफरत है किसी को मुझसे कोई एतबार कर रहा है किसी को सूरत पसन्द नही है कोई दीदार कर रहा है दर्द का भी देखो होता है हिसाब अपना कभी जीने के लिए है जरूरी कभी बीमार कर रहा है मिला तो हमे बहुत है गिनते हम कँहा है पुराना जख्म भर गया तो नया इंतजार कर रहा है किस कदर इश्क़ है तुमसे इस कदर तलब है तुम्हारी । छूट जाऊ अब मैं खुद से जुड़ जाए रूह अब हमारी उन्होंने खैरियत नही है पूछी मगर उन्हें हमारी हर खबर है हमसे वो बे खबर नही है हम पर उनकी नजर है समझते है वो मजबूरी कुछ काम है जरूरी हल्की आग सुलग रही है धुंआ बेसुमार उठ रहा है love u ak