तुम मुझे अपनी जिंदगी की किताब कहते हो। तो तुझे नहीं पता कि इस किताब के हर पन्ने में तुम रहते हो।। किताब के हर पन्ने में तुझे लिखा है मैंने। तुझ में ईश्वर को हर पल देखा है मैंने।। यह किताब खुद के लिए भले ही पहेली हो पर तेरे लिए पहेली नही है। तूने हर हाल में साथ दिया है मेरा , तेरी ये किताब बिलकुल अकेली नहीं है।। तेरे लिए जिंदगी की हर परेशानी सह लूंगी। तुम मुझे जिस हाल में रखो , बिना किसी सवाल के रह लूंगी।। तुझ जैसा इस जहां में किसी और को ना देखा। तुझसे रूठ कर जाऊंगी कहा तू तो है मेरे हाथों की रेखा।। तुमने कभी आवाज तक ऊंची ना कि मेरे सामने। खुशियां ही खुशियां भर दी मेरे भाग्य में।। देखना इस december जिंदगी बदल जाएंगी। जो भी उलझने है सब सुलझ जाएंगी।। तकदीर ने भले ही बहुत कुछ छीना है। पर हमें अब हर हाल में मुस्कुरा कर जीना है।। सुनो ना मेरी तो हर बात में तेरा जिक्र है। कहां खो गए हो तुम मुझे बस यही फिक्र हैं।। हर सुबह तुझे देखती हूं तो मन में बहुत से सवाल आते हैं। जिंदगी में इतनी उलझने में क्यूं है यही ख्याल आते हैं।। ©sweta mourya zindagi ek paheli 🌹