ख़बर न होगी तुम्हें मेरे बदल जाने की। सम्भल जाने की या बिख़र जाने की। न कर मेरा इंतेज़ार मेरी बेवफ़ा मुहब्बत अब आरज़ू हैं नहीं वापस लौट आने की। तू भले ही भूल जा या याद रख मुझे। मैंने तो छोड़ दी हैं सारी यादें ज़माने की। अब ख़ुद से भी एतबार न रखना 'कुमार'। क्योंकि फितरत बदलती नहीं दीवाने की। (कुमार सूरज) ख़बर न होगी तुम्हें मेरेबदल जाने की संभल जाने की या बिख़र जाने की।