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गुजरते लम्हो ने फिर कोई, साज़िश की है , की वक़्त थम

गुजरते लम्हो ने फिर कोई,
साज़िश की है ,
की वक़्त थम न जाये कभी,
इसकी सिफारिश की है,
हर लम्हा बिखरता है,
रेत की तरह,
समेटने में वक़्त फिर से,
गुजर जाता है
गुज़रते लम्हो ने आज फिर
 कोई साज़िश की है।।
ठहर जाऊ कहीं 
पल भर भी अगर,
वो निकल जाए पल में
किसी और पथ पर,
मैं हैरान हूँ,परेशान हूं,
कैसे निभाऊं तेरी बन्दग़ी को,
गुज़रते लम्हो ने आज फ़िर
कोई साजिश की है,
की वक़्त थम न जाये,
इसकी आज फिर सिफारिश की है।। #nojoto#evening#poem#of#time
गुजरते लम्हो ने फिर कोई,
साज़िश की है ,
की वक़्त थम न जाये कभी,
इसकी सिफारिश की है,
हर लम्हा बिखरता है,
रेत की तरह,
समेटने में वक़्त फिर से,
गुजर जाता है
गुज़रते लम्हो ने आज फिर
 कोई साज़िश की है।।
ठहर जाऊ कहीं 
पल भर भी अगर,
वो निकल जाए पल में
किसी और पथ पर,
मैं हैरान हूँ,परेशान हूं,
कैसे निभाऊं तेरी बन्दग़ी को,
गुज़रते लम्हो ने आज फ़िर
कोई साजिश की है,
की वक़्त थम न जाये,
इसकी आज फिर सिफारिश की है।। #nojoto#evening#poem#of#time
pat1060713175079

parijat

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