Nojoto: Largest Storytelling Platform

अपनी ही धुन का वो बाशिंदा है, लाख ठोकरें सही ,पर ख

अपनी ही धुन का वो बाशिंदा है,
लाख ठोकरें सही ,पर खुद में जिंदा है .




 ग़ज़ल जब पुरानी बज उठती है
फिर वही शाम दूर कहीं ढ़लती है ..
#यूंहीबेख्यालीमें
रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ(गजल)से प्रेरित
#जगजीतसिंह
अपनी ही धुन का वो बाशिंदा है,
लाख ठोकरें सही ,पर खुद में जिंदा है .




 ग़ज़ल जब पुरानी बज उठती है
फिर वही शाम दूर कहीं ढ़लती है ..
#यूंहीबेख्यालीमें
रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ(गजल)से प्रेरित
#जगजीतसिंह
tulika3350361195569

Anamika

New Creator

ग़ज़ल जब पुरानी बज उठती है फिर वही शाम दूर कहीं ढ़लती है .. #यूंहीबेख्यालीमें रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ(गजल)से प्रेरित #जगजीतसिंह