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हमेशा ही इंसान को उसके सामर्थ्य के अनुसार आंका गया

हमेशा ही इंसान को उसके सामर्थ्य के
अनुसार आंका गया है और सामर्थ्यवान
को कोई दोषी नहीं कहता। सामर्थ को दोष नाही।
हमेशा ही इंसान को उसके सामर्थ्य के
अनुसार आंका गया है और सामर्थ्यवान
को कोई दोषी नहीं कहता। सामर्थ को दोष नाही।
shravangoud5450

Shravan Goud

New Creator