सूना है आंगन मेरा दरख़्त के बाद जद में थी यह जान दरख़्त के बाद तमाम जमीन पे कहीं जगह ना होगी एक साया भी ना होगा दरख़्त के बाद ऊब चुका है दिल एक बहाना है दुनिया बहुत बदल चुका अंदाज दरख़्त के बाद कितनी याद जुड जाती है एक मुहब्बत से मुहब्बत ही बदल जाती है दरख़्त के बाद इसमें ज़िक्र बन गया इक ठोकर का अब से मानो हो गई कहानी पत्थर दरख़्त के बाद #shayari #poetry #shahbazwrites #yqbaba #yqtales #yqdiary #nature