जरूरत के जहां में चाहतों की जी-हुजूरी है। हजारों ख्वाहिशें पाली, हर ख्वाहिश अधूरी है।। खड़ा दहलीज-ए-दोजख पर आज तू बेशक.. मगर मरने से पहले दोस्त जीना भी जरूरी है।। ...महेश वर्मा (स्वरचित) #lockdownspecial