छिन गई है नींद आँखों की नहीं अब चैन है। दिन तपन में जल रहा झुलसी हुई सी रैन है। चाँदनी बोली मुझे चुभने लगीं हूँ आज़कल! मैं भला कहता भी क्या ख़ामोश मेरे बैन हैं। अब अकेलापन मुझे रास सा आने लगा है। जो कभी होतारहा एहसास सा जाने लगा है। रौनकें उजड़ी हैं दिल की शेष केवल खार है। चाहतों की ज़द में उलझा सा मेरा संसार है। ख़्वाब आँसू बन बहे अब आँख सूनी हो गई हैं। ख़्वाहिशें ख़ंजर बनी और राह ख़ूनी हो गई है। इश्क़ के अंजाम से आशिक़ कभी डरते नहीं! यह फ़कत बेनाम सा बस हो गया एक सैन है। ♥️ Challenge-952 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।