विपरीत परिस्थितियों में " घर "की याद आती है। घर बुलाती हुई " माँ " , याद आती है ।। घर तो यहाँ भी है , सुकून माँ की गोद मे आता है। फ़िक्र मुझसे ज़्यादा है उन्हें , मुझसे यहाँ रहा जाता नही।। क़हर दशों दिशाओं मे है , कैद हम अपने गलियारों में। फ़िक्र मुझे उनकी भी है , जो शक्षम नही इन परिस्थितियों में।। बस कुछ दिनों की बात है , उसके बाद सब साफ है। जो बच गए वो घर गए , जो बचे हुए है वो भी ख़ाक है।। -🖋️विjay. 25mar2020 #home #corona #mom #love