पतझड़ अल्हड़ जवानी पर इतराते अपनी पत्तों को पतझड़ ने लुटा है छोड़ कर साथ शाखों का हवाओं के साथ उड़े है छोड़ कर वफाओं की राह बेवफा पवन के साथ चले है झूठा है साथ इसका (हवा) फिर भी ये पत्तों शाखों से बिछड़ चले है पतझड़