कभी क्रोध और वासना को दबाना मत जब तक गहन ध्यान में इन ऊर्जाओं को विलीन करना न आ जाएँ, वरना ये ऊर्जा निश्चित रूप से आपको विक्षिप्त कर देंगी... इनसे लड़ा नही जा सकता न काबू किया जा सकता न ही जीता जा सकता है, ये सक्रिय ऊर्जा आपको भरमाती अवश्य हैं कि आपके नियंत्रण में है धोखे में मत आना .. इन ऊर्जा को सिर्फ विलयोपरांत विसर्जित/रूपान्तरित किया जा सकता है ध्यान के माध्यम से... विलयोपरांत ही आप जान पाते हैं ये विकृतियां नही आपकी ही ऊर्जा थी जो, भक्ति/ ध्यान के माध्यम से रूपान्तरित की जा सकी हैं। 'मनु' वासना