मेल हो जाता है सबसे मेले में। आते सभी परिधान नवेले में। चाहे जितना घूमों,खाओ मगर, मजा आये न घूमना अकेले में। सब कुछ देखना, जानना चाहें, रखा हो जो भी सभी ठेले में। जी भर के खुशियाँ बटोरते, पड़ना क्यों फालतू झमेले में। मेले में मेल हो शहद की तरह, कि भर जाये मिठास करेले में। #साहोपार_महदेवा_का_मेला #विश्वासी